नान स्टाप राइटिंग चेलैंज 2022 एडीशन 1 घर घर की कहानी ( भाग 30)
शीर्षक :- घर घर की कहानी
रमेश जी ने कमरे में घुसते ही कहा....," आज मै तुम सबको एक सरप्राइज देना चाहता हूँ शायद तुमने सोचा भी नही होगा। "
क्या सरप्राइज है पापा ?? संजू उत्सुकता से बोला
" बेटा व बहू .ये लो बगल वाली सोसायटी में 2BHK फ्लैट है तुम्हारे लिये। "
" पापा ये आप क्या कह रहे हैं ? हमारे लिए अलग से फ्लैट किस लिए हम तो यहाँ सभी एक साथ रह रहे थे। फिर आपके पास इतना पैसा कहाँ से आगया।" संजू ने अपने पापा से पूछा।
हां पापा... संजू सही कह रहा है, मुझे यहां कोई दिक्कत नहीं है सुनयना बोली ।
इससे पहले रमेश बाबू कुछ बोलें संजू बीच में बोल पडा और पापा ! हर मां बाप चाहते हैं, कि उनकी औलाद उनके पास रहे तो आपकी ये अलग फ्लैट वाली बात क्यौ सोची?और इतने पैसे आपके कहां से आए ??
रमेश बाबू बोले," बेटा बात ऐसी है, तुम्हारी शादी के लिए.. बहुत कुछ जोड़कर रखा था, तुम हमारे इकलौते बेटे जो ठहरे ।बडे अरमान थे. ये करूंगा वो करुंगा ....सब धरे के धरे रह गए, क्योंकि तुमने लव मैरिज जो कर ली, तो शादी के तामझाम में होनेवाला मेरा खर्चा बच गया, तो उसीसे तुम दोनों के लिए एक फ्लैट. ले दिया।EMI है कुछ सालों की, भर दिया करना, और कल को बच्चे होगे, तो उनके भविष्य के लिए.. अपना मकान होना बडी बात होगी..।लो संभालो पेपर्स । यह कहकर रमेश बाबू ने पेपर्स संजू को दे दिए।
आखिर दोनों ने पहले तो ना नुकुर की, मगर जब रमेश बाबू जिद पर अडे रहे, तो अलग फ्लैट में रहने के लिए राजी हो गए, अपना समान लिए बगल वाली सोसायटी में शिफ्ट हो गए।,
उसी रात रमेश बाबू की पत्नी ने अपने पति से पूछा ," एक बात पूछूं....??
" हां पूछो ना गीता. तुम क्या पूछरही हो "
"ये अलग फ्लैट दिलाने की आपको क्या सूझी.?"आपने तो.. संजू की पसंद भी स्वीकार थी, फिर सुनयना को अपने से दूर करने की बात मुझे कुछ अटपटी सी लग रही है ?"
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देखो गीता यह बात अटपटी सी बात जरूर है मगर.. बात बडी अच्छी है । जानती हो बचपन से तुमने.. संजू की हर तमन्नाओं को गैर जरूरी इच्छाओं को हर बार पूरा किया मेरे मना करने के बावजूद इससे वह थोड़ा अडियल जिद्दी सा हो गया और अपनी मनमर्जी करना, यहां तक की.. उसने हमारे बिना पूछे.. हमारे बिना देखे.एक अलग ही समाज की लडकी से.. गुपचुप शादी तक कर ली.....
बच्चे बडे होकर अपने जिंदगी के फैसले खुद लेते हैं, ठीक है मगर.. क्या हम दोनों.. उसके दुश्मन थे ? जो हमें बताना भी मुनासिब नहीं समझा...
खैर.. मैं उसका यहां भी बचपना समझकर चुप कर गया, बहु को स्वीकार किया, बेटी की तरह मान दिया। मगर उसने...यहां आकर हमें अपनाया. नहीं ! ब्लकि वो तुम्हें और मुझे.. एक नौकर समझने लगी थी । स्वयं से कभी चाय नही बनाकर पिलाई ।.आँफिस जाते समय मम्मी आज राजमा चावल आलू गोभी कभी ये कभी वो बनादेना।
और वो नालायक संजू उसे भी शायद हम दोनों नौकर ही लगने लगे थे मुझे तो आदत है बाहर से समान वगैरह लेकर आने की मगर अब हम बूढे हो रहे है। और बुढापे मे हर मां बाप अपने बेटे बहुओं से उम्मीद करते हैं वो उनके लिए जिए उनके साथ जिए यहां तो तुम्हारे साथ जरा सा नमक तेज होने पर बदतमीजी होने लगी थी उस दिन टीवी देखते हुए अचानक बहू ने टीवी बंद कर दिया था बिजली बिल बढ जाएगा कहकर ।
मगर ये सब करना जरुरी था । और वैसे भी कहीं दूर नही भेजा उन्हें पास की सोसायटी में रहेंगे तो हम उनके आसपास ही तो रहेंगे कल यदि वह अपनी गलतियों से सीखकर हमारे साथ रहना चाहेंगे तो कुछ शर्तों के साथ उन्हें साथ मे भी रखेंगे .....
और यदि वह अपने स्वभाव में बदलाव नहीं करते तो ...गीता ने प्रश्न दागते हुए कहा
तो.....हम दोनों तो है ना पहले भी थे आज भी साथ .रहेंगे।.मगर स्वाभिमान के साथ।
इस बार गीताभी अपने पति के साथ मुस्करा रही थी।
नान स्टाप राइटिंग चैलेन्ज के लिए।
नरेश शर्मा पचौरी "
डॉ. रामबली मिश्र
24-Nov-2022 07:38 PM
Nice
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Rafael Swann
17-Nov-2022 01:05 PM
Shandar prastuti 👏
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Gunjan Kamal
16-Nov-2022 06:01 PM
शानदार
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